सोमवार, 27 मार्च 2017

भांंडारकर महाभारत में परिलक्षित भारतीय तत्वज्ञान शोध हेतु परियोजना


दि 09-04-2017  रोजी पाठवलेली ईमेल 
Bori Bahulkar ,
"Bhandarkar O. R. Institute (BORI)" ,
Maitreyee Deshpande , bhupal_patwardhan@rediffmail.com
माननीय श्री बहुकर,
भांडारकर संस्थेअंतर्गत मी महाभारतातील तत्वचिंतन या विषयावर एक अध्ययन प्रकल्प हाती घ्यावा अशी अनौपचारिक चर्चा होउन मी तसा अभ्यास आरंभिलेला आहे हे आपण जाणताच. परंतु याबाबत सर्वंकष प्रस्ताव तयार करून त्यास संस्थेची औपचारिक मान्यता घेणे आवश्यक आहे.
यासंबंधाने आपण दिलेल्या पत्राच्या अनुषंगाने अध्ययन प्रकल्पाचा प्रस्ताव सोबत जोोडत आहे. (२ फाइल्स)  कृपया यावर योग्य त्या कमिटीचे अनुमोदन घेऊन संस्थेची औपचारिक मान्यता मला कळविण्यात यावी. 

संलग्न -- ३ 
परियोजना (प्रोजेक्टराबविण्याबाबत.
शोध हेतु परियोजना का औचित्य
परियोजनेवरिल अपेक्षित खर्च






दिनांक- ०३-०४-२०१७
विषय- भांडारकर संस्थेमार्फत महाभारतावरील परियोजना (प्रोजेक्ट) राबविण्याबाबत.
प्रति,
श्री बहुलकर,
मानद सचिव,
भांडारकर प्राच्यविद्या शोध संस्था,
महोदय,
आपल्याशी झालेल्या चर्चेप्रमाणे भांडारकर संस्थेसाठी "महाभारतात परिलक्षित भारतीय तत्वज्ञान " या विषयावर मी विस्तृत अभ्यास करावा असे स्थूलमानाने ठरले व संस्थेला ही संकल्पना मान्य असल्याचे आपण मला कळविले आहे. तरी या परियोजनेबाबत विस्ताराने हा प्रस्ताव देत आहे.
  • परियोजनेची उद्दिष्टे आणि औचित्य - वेगळी टिप्पणी
  • परियोजनेचे नावं - महाभारत में परिलक्षित भारतीय तत्वज्ञान
  • परियोजनेची भाषा - हिंदी
  • परियोजनेचा कालावधी- ३ वर्षे ( सुमारे)
  • परियोजनेचे फलित

  • दर सहा महिन्यातून एक विस्तृत लेख (सुमारे ३००० ते ४००० शब्द संख्या) ज्या मधे या विषयाशी निगडित एकेका पैलूचा उलगडा असेल 
  • तीन वर्षाच्या कालावधीनंतर वरील विषयावर एक दर्जेदार असे पुस्तक



परियोजनेकामी भांडारकर संस्थेचे दायित्व --
  • या परियोजनेवर काम करण्यासाठी २ प्रोजेक्ट असोसिएटसची नेमणूक
  • व त्यांच्या कामासाठी -१ संगणक
  • मासिक नेमणुकीवर असलेल्या वाहन- चालकाचा पगार फेब्रु २०१७ पासून लागू
  • परियोजनेवरिल अपेक्षित खर्च एकूण रू. ६० लाख -- वेगळी टिप्पणी
तरी संस्थेच्या नियमाप्रमाणे आवश्यक बाबींची पूर्तता करून वरील परियोजनेस मान्यता कळविणेत यावी. दरम्यान मी हा अभ्यास हाती घेतलेला आहे हे आपण जाणताच.
कळावे,
आपली स्नेहांकित,
लीना मेहेंदळे

------------------------------------------------------------------------------------------------------------






।। श्री ।।
शोध हेतु परियोजना का औचित्य
महाभारत में परिलक्षित भारतीय तत्वज्ञान

भांडारकर प्राच्यविद्या शोधसंस्था के तत्वावधान में उपरोक्त संशोधन ग्रंथ का कार्य प्रस्तावित करने का औचित्य है। संस्था की स्थापना सौ वर्ष पूर्व सन १९१७ में हुई। संस्था द्वारा संपादित " Critical Edition of Mahabharat -- (महाभारत ग्रंथ की क्रिटिकल एडिशन) के Prologue में ही प्रमुख संपादक श्री व्ही. एस्. सुखथनकर लिखते हैं कि संस्थाने शैशवावस्था में ही (१९१८) में यह कार्य हाथ में लिया (और १९३३ में पूर्ण किया)। वे लिखते हैं 
" The reasons which have induced sanskritists both here and abroad to undertake this gigantic enterprise (Critical Edition of Mahabharat) are easy to understand. 
The pre-eminent importance of the Epic is universally accepted. Next to the Vedas it is the most valuable product of the entire literature of ancient India, so rich in notable works. Venerable for its very antiquity it is one of the most inspiring monuments of the world and an inexhaustible mine for the investigation of the religion,  legend, philosophy, law, custom,व and the sociopolitical institutions in India. ....."

महाभारत संसार का सर्वाधिक विस्तार वाला ग्रंथ है। इसके रचयिता महर्षि व्यास को वेदव्यास नामसे भी संबोधित किया गया है। मान्यता है कि वेदों की एक लक्षसे भी अधिक ऋचाओंको उनके स्वभावानुसार व विषयानुसार चार वेदों मे अनुक्रमित करने का कार्य वेदव्यासने ही किया है । तो कोई आश्चर्य नही कि वेदों मे निहित अधिकांश विज्ञानकथ्य व तत्वज्ञान भी महाभारत में प्रतिबिम्बित हो । सही अर्थेंमें माना जा सकता है कि व्यासने ही तबतक वर्णित तत्वचिंतन को महाभारत मे सूत्रबद्ध और क्रमबद्ध किया। और कदाचित  कुछ नये चिंतन अपनी ओर से उसमें जोडे ।

महाभारत की Critical edition  के प्रकाशन ( १९३३) के बाद जो दूसरा काम हाथमें लिया वह Cultural Indexing का काम जो डॉ एम ए मेहेंदळे के मार्गदर्शनमें चला। इसका पहला खण्ड ... में प्रकाशित हुआ । यह कार्य अब भी चल रहा है और अबतक इसके --- खण्ड प्रकाशित हो चुके हैं।  
इसी परम्पराको  आगे बढाते हुए भांडारकर संस्था के अंतर्गत एक अध्ययन "महाभारत में परिलक्षित भारतीय तत्वज्ञान" प्रस्तावित है। ऐसे अध्ययनको  यह अनुसंधान केंद्र आगे बढाये यह सर्वतोपरी  उचित होगा।


-----------------------------------------------------------------------------------------------------------

परियोजनेवरिल अपेक्षित खर्च

परियोजनेवरिल अपेक्षित खर्च -- एकूण रू. ६० लाख -- खालीलप्रमाणे

 या अध्ययनासाठी २ प्रोजेक्ट असोसिएट्स @ दरमहा ५०,००० ते ७०,०००

 वाहनचालक -- @ दरमहा १३,००० ते १५,०००

 एक वर्षासाठी तिघांचा एकूण खर्च ७,५६,००० ते १०,२०,०००

 तीन वर्षासाठी एकूण पगार – सुमारे ३०,००,०००

 संगणक व इतर कमझ्यूमेबल्स – १५,००,०००

 प्रवास, छपाई, आनुषंगिक इव्हेंट्स इ. -- १५,००,०००

तीन वर्षासाठी एकूण – सुमारे ६०,००,०००
----------------------------------------------------------------------------------------------------

प्रति, दिनांक.//२०१७
माननीय श्री बहुलकर
मनद सचिव, भांडारकर संस्था
संदर्भ महाभारत में परिलक्षित भारतीय दर्शन ही परियोजना
महोदय,
वरील परियोजने संबंधाने माझी दिनांक ०९-०४-२०१७ ची Email पहावी. तो प्रस्ताव लेखी स्वरुपात आज संस्थेत सादर करीत आहे. आपल्या आधीच्या चर्चे प्रमाणे व प्रस्तावात उल्लेख केल्याप्रमाणे मी दि १ फेब्रुवारी पासून एका वाहनचालकाची नियुक्ति केली असून त्याच्या मासिक वेतनापोटी आहे फेब्रुवारी २०१७ साठी रु १२५०० व माहे मार्च २०१७ साठी रु २१५०० एवढे अदा केलेले आहेत.
सबब त्यांची reimbursement संस्थेकडून (एकूण रु २५०००) व्हावी.
आपली विश्वासू

लीना मेहेंदळे

-----------------------------------------------------------------------------------------------