रविवार, 29 नवंबर 2015

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प्रकाशकिरण -- आकाशवाणी जळगांव Jalgaon lecture 9 योजक-महिमा

प्रकाशकिरण -- आकाशवाणी जळगांव Jalgaon lecture 8 सत्यमेव जयते

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********** पठामि संस्कृतम् व इतर कार्यक्रमोंकी सूची

पठामि संस्कृतम् व इतर कार्यक्रमोंकी सूची
पठामि संस्कृतम् भाग १   - चित्रफीत
Madhuban Pathami Sanskritam Bhag 1-TWAMEV MATA.mp3
पठामि संस्कृतम् भाग २   - चित्रफीत
Madhuban Pathami Sanskritam Bhag 2-ASATO MA SADGAMAYA.mp3
पठामि संस्कृतम् भाग ३   - चित्रफीत
Madhuban Pathami Sanskritam Bhag 3-RAM KRIPALI.mp3
पठामि संस्कृतम् भाग ४   - चित्रफीत
Madhuban Pathami Sanskritam Bhag 4- VIBHAKTI -Hindi.mp3
पठामि संस्कृतम् भाग ५   - चित्रफीत
Madhuban Pathami Sanskritam Bhag 5.mp3
पठामि संस्कृतम् भाग ६  - चित्रफीत
Madhuban Pathami Sanskritam Bhag 6.mp3
पठामि संस्कृतम् भाग ७ -  चित्रफीत
Madhuban Pathami Sanskritam Bhag 7.mp3
पठामि संस्कृतम् भाग ८  आदित्यानाम् अहं  - चित्रफीत
Madhuban Pathami Sanskritam Bhag 8.mp3
पठामि संस्कृतम् भाग ९.mp3- द्विवचन-- तरुणौ
पठामि संस्कृतम् भाग १०.mp3-- अत्र तत्र
पठामि संस्कृतम् भाग ११.mp3 शास्त्र दर्शन
पठामि संस्कृतम् भाग १२.mp3-प्रश्नवाचक शब्द
पठामि संस्कृतम् भाग १३.mp3 या देवी सर्वभूतेषु
पठामि संस्कृतम् भाग १४.mp3 एतत् अयं
पठामि संस्कृतम् भाग १५.mp3 लोट् लकार एवं संस्कृतं जयतु
पठामि संस्कृतम् भाग १६.mp3-या कुन्देन्दु
पठामि संस्कृतम् भाग १७.mp3 -- संधि-समास
पठामि संस्कृतम् भाग १८.mp3
पठामि संस्कृतम् भाग १९.mp3- श्रीकृष्ण गोविंद
पठामि संस्कृतम् भाग २०.mp3- रात्रिर्गमिष्यति
पठामि संस्कृतम् भाग २१ SANDHI VA SAMAS.mp3
पठामि संस्कृतम् भाग २२.mp3 -- Bahubreehi
पठामि संस्कृतम् भाग २३- Bahubreehi2 
पठामि संस्कृतम् भाग २४--रामरक्षा कवच
पठामि संस्कृतम् भाग २५.mp3-- ॐ नमः शिवाय
पठामि संस्कृतम् भाग २६.mp3 -- विश्वरूप दर्शन १
 पठामि संस्कृतम् भाग २७.mp3 -- विश्वरूप दर्शन २
पठामि संस्कृतम् भाग २८.mp3  -- विश्वरूप दर्शन ३
पठामि संस्कृतम् भाग २९.mp3   -- विश्वरूप दर्शन ४
पठामि संस्कृतम् भाग ३०.mp3  -- विश्वरूप दर्शन ५
पठामि संस्कृतम् भाग ३१.mp3 -- विश्वरूप दर्शन ६
पठामि संस्कृतम् भाग ३२.mp3  -- विश्वरूप दर्शन ७
पठामि संस्कृतम् भाग ३३ .mp3  -- विश्वरूप दर्शन ८
पठामि संस्कृतम् भाग ३४.mp3    -- विश्वरूप दर्शन ९
पठामि संस्कृतम् भाग ३५.mp3-- सार्वभौम संस्कृत संस्थान वाराणसी
पठामि संस्कृतम् भाग ३६.mp3 -संगणकं इति किं १
पठामि संस्कृतम् भाग ३७.mp3  -संगणकं इति किं २
पठामि संस्कृतम् भाग ३८.mp3  -संगणकं इति किं ३
पठामि संस्कृतम् भाग ३९.mp3  - क्व तव मूर्धा-- अंगपरिचय
पठामि संस्कृतम् भाग ४०.mp3 -- उदिते सूर्ये - कविता
पठामि संस्कृतम् भाग ४१.mp3 - लिट् लकार परोक्ष भूत यथा बभूव चकार
पठामि संस्कृतम् भाग ४२.mp3 नमन-वंदना -लोट्-लिंङ्-लिङ् 
पठामि संस्कृतम् भाग ४३.mp3 -- कृष्णवंदना - द्वितिया-चतुर्थी-संबोधन-पंचमी
पठामि संस्कृतम् भाग ४४.mp3- भक्तलक्षण गीता १२(१३-१६)
पठामि संस्कृतम् भाग ४५.mp3-- भक्तलक्षण गीता -१२ (१७-१९)
पठामि संस्कृतम् भाग ४६.mp3 - भक्तलक्षण गीता १६ + लकारगीत त्रिशूर शिक्षकानां ब्लॉगः
पठामि संस्कृतम् भाग ४७.mp3 - विभक्ति-- सोहमः
पठामि संस्कृतम् भाग ४८.mp3 - आत्मनेपद -गरुडगोविंद-स्तुति
पठामि संस्कृतम् भाग ४९.mp3-- कई संज्ञाएँ उज्ज्वला पवार द्वारा उपसर्ग
पठामि संस्कृतम् भाग ५०.mp3 -- श्री कुलकर्णीका पाठ-सरल वाक्य, सरल गीत, चिरंजीवि संज्ञाकी कथा
पठामि संस्कृतम् भाग ५१.mp3 - श्री वासुदेव शास्त्रीकी कविताएँ
पठामि संस्कृतम् भाग ५२.mp3 - चतुर्थी
पठामि संस्कृतम् भाग ५३- Chhanda varnanam
पठामि संस्कृतम् भाग ५४- छंद वर्णन २
पठामि संस्कृतम् भाग ५५ - आत्मनेपद
पठामि संस्कृतम् भाग ५६ - रथस्यैकम् चक्रम्
पठामि संस्कृतम् भाग ५७ - माता रामो 
पठामि संस्कृतम् भाग ५८ -सरल व्याकरण
पठामि संस्कृतम् भाग ५९ -रन्तिदेव कथा -विशाल शर्मा
पठामि संस्कृतम् भाग ६० -बकः श्रृगालः च
पठामि संस्कृतम् भाग ६१ -
पठामि संस्कृतम् भाग ६२  - गीता अध्याय ८-१
पठामि संस्कृतम् भाग ६३  - गीता अध्याय ८-२
पठामि संस्कृतम् भाग ६४  - गीता अध्याय ८-३
पठामि संस्कृतम् भाग ६५  - गीता अध्याय ८-४
पठामि संस्कृतम् भाग ६६ - गीता अध्याय ८-५
पठामि संस्कृतम् भाग ६७ -- सरल वाक्य
पठामि संस्कृतम् भाग ६८ -- अवज्ञा त्रुटितं प्रेमः 
पठामि संस्कृतम् भाग ६९ -- भद्रम् कर्णेभिः श्रुणुयाम
पठामि संस्कृतम् भाग ७० -- दुर्गा सप्तशति श्लोक समुच्चय १
पठामि संस्कृतम् भाग ७१ -- दुर्गा सप्तशति श्लोक समुच्चय २
पठामि संस्कृतम् भाग ७२ -- उत्तिष्ठत जाग्रत
पठामि संस्कृतम् भाग ७३ -- दुर्गा सप्तशति श्लोक समुच्चय ३
पठामि संस्कृतम् भाग ७४ --गीता अध्याय २-०१
पठामि संस्कृतम् भाग ७५ --गीता अध्याय २-०२
पठामि संस्कृतम् भाग ७६ --गीता अध्याय २-०३
पठामि संस्कृतम् भाग ७७ --गीता अध्याय २-०४
पठामि संस्कृतम् भाग ७८ --गीता अध्याय २-०५
पठामि संस्कृतम् भाग ७९ --गीता अध्याय २-०६
पठामि संस्कृतम् भाग ८० --गीता अध्याय २-०७
पठामि संस्कृतम् भाग ८१ --गीता अध्याय २-०८
पठामि संस्कृतम् भाग ८२ --गीता अध्याय २-०९
पठामि संस्कृतम् भाग ८३ --गीता अध्याय २-१०
पठामि संस्कृतम् भाग ८४ -- आदरसूचक शब्द भवान्
पठामि संस्कृतम् भाग ८५ -- शंकराचार्य
पठामि संस्कृतम् भाग ८६ -- सार्वभौम वाराणसी
पठामि संस्कृतम् भाग ८७ -- कथा
पठामि संस्कृतम् भाग ८८ -- क्त्व प्रत्यय
पठामि संस्कृतम् भाग ८९ -- लोट् लकार
पठामि संस्कृतम् भाग ९० -- ल्यबंत प्रत्यय
पठामि संस्कृतम् भाग ९१ -- साधु-वृश्चिक कथा
पठामि संस्कृतम् भाग ९२ -- सुभाषितानी -१
पठामि संस्कृतम् भाग ९३ -- सुभाषितानि -२
पठामि संस्कृतम् भाग ९४ -- केनोपनिषद्
पठामि संस्कृतम् भाग ९५ --  चतुर वृद्धः
पठामि संस्कृतम् भाग ९६ -- द्विरुक्त क्रिया
पठामि संस्कृतम् भाग ९७ -- तुमुन् प्रत्यय
पठामि संस्कृतम् भाग ९८ -- करोति का पर्याय
पठामि संस्कृतम् भाग ९९ -- महाभारतस्य रचना १
पठामि संस्कृतम् भाग १०० -- महाभारतस्य रचना २
पठामि संस्कृतम् भाग १०१ -- महाभारतस्य रचना ३
पठामि संस्कृतम् भाग १०२ -- अग्निशकटिका चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग १०३ -- गीता अध्याय ३-०१
पठामि संस्कृतम् भाग १०३ --  - चित्रफीत गीता अध्याय ३-०१
पठामि संस्कृतम् भाग १०४ -- गीता अध्याय ३-०२
पठामि संस्कृतम् भाग १०४ -चित्रफीत- गीता अध्याय ३-०२
पठामि संस्कृतम् भाग १०५ -- गीता अध्याय ३-०३
पठामि संस्कृतम् भाग १०५ --चित्रफीत गीता अध्याय ३-०३
पठामि संस्कृतम् भाग १०६ -- गीता अध्याय ३-०४
पठामि संस्कृतम् भाग १०६ -- चित्रफीत -गीता अध्याय ३-०४
पठामि संस्कृतम् भाग १०७ -- गीता अध्याय ३-०५
पठामि संस्कृतम् भाग १०७ --चित्रफीत - गीता अध्याय ३-०५
पठामि संस्कृतम् भाग १०८  -- गीता अध्याय ३-०६
पठामि संस्कृतम् भाग १०८  --चित्रफीत - गीता अध्याय ३-०६
पठामि संस्कृतम् भाग १०९  -- गीता अध्याय ३-०७
पठामि संस्कृतम् भाग १०९  --चित्रफीत - गीता अध्याय ३-०७
पठामि संस्कृतम् भाग ११०   -- गीता अध्याय ३-०८
पठामि संस्कृतम् भाग ११०   --चित्रफीत - गीता अध्याय ३-०८
पठामि संस्कृतम् भाग १११   -- गीता अध्याय ३-०९
पठामि संस्कृतम् भाग १११   --चित्रफीत - गीता अध्याय ३-०९
पठामि संस्कृतम् भाग ११२ - - भारत वर्णनम्
पठामि संस्कृतम् भाग ११३ -- चींटी और शक्कर
पठामि संस्कृतम् भाग ११४ --  पातञ्जल योगसूत्र परिचय
पठामि संस्कृतम् भाग ११५ -- भृगूपनिषद्
पठामि संस्कृतम् भाग ११६ -- चतुरः कर्कटकः
पठामि संस्कृतम् भाग ११७ -- सूर्योदय वर्णनम्
पठामि संस्कृतम् भाग ११८ -- मूकं करोति वाचालं
पठामि संस्कृतम् भाग ११९ -- कदाचित अलिखित
पठामि संस्कृतम् भाग १२०\-- भीष्मस्य कथा
पठामि संस्कृतम् भाग १२१
पठामि संस्कृतम् भाग १२२
पठामि संस्कृतम् भाग १२३
पठामि संस्कृतम् भाग १२४
पठामि संस्कृतम् भाग १२५ अ
पठामि संस्कृतम् भाग १२६ -Mahimn 2
पठामि संस्कृतम् भाग १२७ -Mahimn 6
पठामि संस्कृतम् भाग १२८ -Mahimn 
पठामि संस्कृतम् भाग १२९ -- संपूर्ण रामरक्षा
पठामि संस्कृतम् भाग १३०
पठामि संस्कृतम् भाग १३१
पठामि संस्कृतम् भाग १३२
पठामि संस्कृतम् भाग १३३
पठामि संस्कृतम् भाग १३४
पठामि संस्कृतम् भाग १३५
पठामि संस्कृतम् भाग १३६
पठामि संस्कृतम् भाग १३७
पठामि संस्कृतम् भाग १३८
पठामि संस्कृतम् भाग १३९
पठामि संस्कृतम् भाग १४०
पठामि संस्कृतम् भाग १४१
पठामि संस्कृतम् भाग १४२
पठामि संस्कृतम् भाग १४३
पठामि संस्कृतम् भाग १४४  - दशावतार
पठामि संस्कृतम् भाग १४५  - दशावतार
पठामि संस्कृतम् भाग १४६ - दशावतार
पठामि संस्कृतम् भाग १४७  - दशावतार
पठामि संस्कृतम् भाग १४८ - दशावतार
पठामि संस्कृतम् भाग १४९  - दशावतार
पठामि संस्कृतम् भाग १५०  - दशावतार
पठामि संस्कृतम् भाग १५१  - दशावतार
पठामि संस्कृतम् भाग १५२
पठामि संस्कृतम् भाग १५३
पठामि संस्कृतम् भाग १५४
पठामि संस्कृतम् भाग १५५
पठामि संस्कृतम् भाग १५६
पठामि संस्कृतम् भाग १५७
पठामि संस्कृतम् भाग १५८ सप्तशति चामुण्डा कथा १
पठामि संस्कृतम् १५८ सप्तशति चामुण्डा कथा - चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग १५९ सप्तशति चामुण्डा कथा २
पठामि संस्कृतम् १५९ सप्तशति चामुण्डा कथा - चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग १६०  सप्तशति चामुण्डा कथा ३
पठामि संस्कृतम् १६० सप्तशति चामुण्डा कथा - चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग १६१   सप्तशति चामुण्डा कथा ४
पठामि संस्कृतम् १६१ सप्तशति चामुण्डा कथा - चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग १६२
पठामि संस्कृतम् भाग १६३
पठामि संस्कृतम् भाग १६४
पठामि संस्कृतम् भाग १६५
पठामि संस्कृतम् भाग १६६
पठामि संस्कृतम् भाग १६७
पठामि संस्कृतम् भाग १६७ चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग १६८
पठामि संस्कृतम् भाग १६९ चित्रफीत-जन्तरमन्तरस्य नवीकरणम् -१
पठामि संस्कृतम् भाग १६९
पठामि संस्कृतम् भाग १७०चित्रफीत-जन्तरमन्तरस्य नवीकरणम् -२
पठामि संस्कृतम् भाग १७०
पठामि संस्कृतम् भाग १७१चित्रफीत-जन्तरमन्तरस्य नवीकरणम् -३
पठामि संस्कृतम् भाग १७१
पठामि संस्कृतम् भाग १७२चित्रफीत-जन्तरमन्तरस्य नवीकरणम् -४
पठामि संस्कृतम् भाग १७२
पठामि संस्कृतम् भाग १७३ गीता अध्याय १ चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग १७३ गीता अध्याय १
पठामि संस्कृतम् भाग १७४ गीता अध्याय १
पठामि संस्कृतम् भाग १७५ गीता अध्याय १
पठामि संस्कृतम् भाग १७६ गीता अध्याय १
पठामि संस्कृतम् भाग १७७ गीता अध्याय १
पठामि संस्कृतम् भाग १७८ गीता अध्याय १
पठामि संस्कृतम् भाग १७९
पठामि संस्कृतम् भाग १८०
पठामि संस्कृतम् भाग १८१
पठामि संस्कृतम् भाग १८२
पठामि संस्कृतम् भाग १८३
पठामि संस्कृतम् भाग १८४
पठामि संस्कृतम् भाग १८५
पठामि संस्कृतम् भाग १८६
पठामि संस्कृतम् भाग १८७
पठामि संस्कृतम् भाग १८८
पठामि संस्कृतम् भाग १८९
पठामि संस्कृतम् भाग १९०
पठामि संस्कृतम् भाग १९१
पठामि संस्कृतम् भाग १९२
पठामि संस्कृतम् भाग १९३
पठामि संस्कृतम् भाग १९४
पठामि संस्कृतम् भाग १९५
पठामि संस्कृतम् भाग १९६
पठामि संस्कृतम् भाग १९७
पठामि संस्कृतम् भाग १९८
पठामि संस्कृतम् भाग १९९
पठामि संस्कृतम् भाग २००
पठामि संस्कृतम् भाग २०१-२१६ से ११ में अलग अलग सूत्र व २१६ में पूर्ण गायन है।
पठामि संस्कृतम् भाग २०१ -- पातञ्जल योगसूत्र समाधिपाद १-६
पठामि संस्कृतम् भाग २०१ -- पातञ्जल योगसूत्र समाधिपाद १-६ चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग २०२ -- पातञ्जल योगसूत्र समाधिपाद ७-१२
पठामि संस्कृतम् भाग २०२ -- पातञ्जल योगसूत्र समाधिपाद ७-१२ चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग २०३ -- पातञ्जल योगसूत्र समाधिपाद १३-१५
पठामि संस्कृतम् भाग २०३ -- पातञ्जल योगसूत्र समाधिपाद १३-१५  चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग २०४ -- नही बनाया
पठामि संस्कृतम् भाग २०५ -- शीघ्रं आगम्यताम्
पठामि संस्कृतम् भाग २०५ -- शीघ्रं आगम्यताम्   चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् २०६ समाधिपाद १६-१७
पठामि संस्कृतम् २०६ समाधिपाद १६-१७  चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् २०७ समाधिपाद १८-२३
पठामि संस्कृतम् २०७ समाधिपाद १८-२३     चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् २०८ समाधिपाद २४-२८
पठामि संस्कृतम् २०८ समाधिपाद २४-२८      चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग २०९ -- नही बनाया
पठामि संस्कृतम् २१० समाधिपाद २९-३२
पठामि संस्कृतम् २१० समाधिपाद २९-३२       चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग २११-- महालक्ष्मी अष्टक
पठामि संस्कृतम् भाग २११-- महालक्ष्मी अष्टक        चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् २१२ समाधिपाद ३३-३९
पठामि संस्कृतम् २१२ समाधिपाद ३३-३९         चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् २१३ समाधिपाद ४०-४२
पठामि संस्कृतम् २१३ समाधिपाद ४०-४२        चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् २१४ समाधिपाद ४३-४७
पठामि संस्कृतम् २१४ समाधिपाद ४३-४७           चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् २१५ समाधिपाद ४८-५१ समाप्त
पठामि संस्कृतम् २१५ समाधिपाद ४८-५१ समाप्त          चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् २१६ समाधिपाद ----संपूर्ण गायन
पठामि संस्कृतम् २१६ समाधिपाद ----संपूर्ण गायन   चित्रफीत
पठामि संस्कृतम् भाग २१७

पठामि संस्कृतम् भाग २१८ -- द्वादश ज्योतिर्लिंग
पठामि संस्कृतम् भाग २१८ -- द्वादश ज्योतिर्लिंग     चित्रफीत
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जळगाव आकाशवाणीवर केलेले संस्कृत श्लोक विवेचन
श्लोक १ वाया घालवू नका--  क्षणशः कणशश्चैव
श्लोक २ गुरुमहिमा -- गुरुर्बह्मा
श्लोक ३ मेहनत हेच धन -- इशावास्यमिदं सर्वं
श्लोक ४ माणसे मोठी कशी होतात -- विपदि धैयम्
श्लोक ५ जननी जन्मभूमिश्च
श्लोक ६ सत्वशीलता--रथस्यैकं चक्रं
श्लोक ७  नीतिरस्मि जिगीषिताम्      
श्लोक ८ सत्यमेव जयते -- सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात्
श्लोक ९ योजक महिमा -- अमंत्रं अक्षरो नास्ति
श्लोक १० एकसे मिले एक -- पयसा कमलं कमलेन पयः
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शान्ताकारं भुजगशयनं -- श्लोक
शान्ताकारं भुजगशयनं -- अर्थसहित
त्वमेव माता -- श्लोक

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चींटी क्या करती है
बात हुई एकबार ये मजेदार
बलसागर होवे भारत --चित्रफीत
बलसागर होवे भारत --ध्वनिफीत
खरहा और कछुआ
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एकदा काय गंमत झाली -- ३६ अक्षरे
चाऊ, माऊ आणि काऊचे गाणे
बघआई आकाशात सूर्य हा आला

बाराखडीचे क चे गाणे आला बघा कावळा काळा काळा
क चे कमळ दिसते किती छान
ख कसा लिहावा ते गाणे
ख चे अक्षर शिकायला आली खारुताई
ख चे अक्षर शिकायला -- चित्रफीतीसाठी
ग ग गवत हिरवे हिरवे गार
घण् घण् घण् घंटी वाजली
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देख सोहमा सीख घटाना
देख सोहमा सीख जोडना
सोहम --बे एके बे 


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बांसुरी
ग ग ध प गरे गरे

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देवदासी -- न सरलेली वाट
गोवा -- आयुर्वेदातील शोघांची अवस्था व महत्व --चित्रफीत



















सोमवार, 17 अगस्त 2015

डॉ बलराम सदाशिव अग्निहोत्री गीता पाठ १० Dr Balram S Agnihotri geeta

डॉ बलराम सदाशिव अग्निहोत्री गीता पाठ ९ Dr Balram S Agnihotri geetaad...

डॉ बलराम सदाशिव अग्निहोत्री गीता पाठ ८ Dr Balram S Agnihotri geeta

डॉ बलराम सदाशिव अग्निहोत्री गीता पाठ ७ Dr Balram S Agnihotri geeta

डॉ बलराम सदाशिव अग्निहोत्री गीता पाठ १४ Dr Balram S Agnihotri geeta

डॉ बलराम सदाशिव अग्निहोत्री गीता पाठ १३ Dr Balram S Agnihotri geeta

डॉ बलराम सदाशिव अग्निहोत्री गीता पाठ ४ Dr Balram S Agnihotri geeta 4

डॉ बलराम सदाशिव अग्निहोत्री गीता पाठ ३ Dr Balram S Agnihotri geeta

डॉ बलराम सदाशिव अग्निहोत्री गीता पाठ २-२ Dr Balram S Agnihotri geeta

डॉ बलराम सदाशिव अग्निहोत्री गीता पाठ २-१ Dr Balram S Agnihotri geeta

डॉ बलराम सदाशिव अग्निहोत्री गीता अध्याय 1 Dr Balram S Agnihotri geeta ch 1

शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

गीता किसके लिये?

 गीता किसके लिये?

गीता इतना पुरातन ग्रंथ है कि आम आदमीको गलतफहमी हो सकती है कि यह केवल बुढापेमें परमात्माका स्मरण करवानेके लिये उपयुक्त है।  लेकिन मैं कहती हूँ कि यह  बडी व्यवहारिक और उपयोगी विषयवस्तु है जो हर आयुमें और हर मौके पर  सही- गलतकी पहचान करवाती है।
        यदि आपके सामने भगवद्गीता पर  एक अच्छी पुस्तक रखी गई और आप सोच रहे है, इसे पढूँ? या चॅनेल सर्फिंगमें यही प्रोग्राम आपके सामने आया और आपके मनमें प्रश्न आया -इसे देखूँ  या न देखूँ ? क्या यह मेरे लिये relevant  है ? तो उत्तर है - हाँ।
       एक लीडर के लिये , जो लीडरी करना चाहता है और अच्छे-बुरेका विचार किये बगैंरे अपने लिये धन और सुखोपभोग भी जुटाना चाहता है - क्या गीतामें उसके लिये भी सुझाव  हैं - जरुर  हैं। क्योंकि गीतामें सुयोग्य लीडरके लिये सुझाव  है। एक अयोग्य लीडर भी उनसे लाभ ले सकता है -- लेकिन उनका पालन अल्प कालीन रहेगा - शाश्वत नही, वह दिखावा होगा, यथार्थ नही। क्योंकि कोई भी लीडर आपने अनुयायिके सामने अपने अनैतिक चरित्रका आदर्श नही रह सकता । वैसे  अनुयायी  उसके नहीं रहेंगे । सो थोडे ही समयमें ऐसे लीडरसे गीता छूट जायगी । लेकिन यदि वह सुयोग्य हैै तो गीता उसके लिये चिरंतन मार्गदर्शक है।
लीडर का पहला गुण है- कि औरों उसके सोच-विचार मेल खायें, उसकी wavelength जुडी रहे - उसके पास communication skills  हों, वह औरोंको motivate  कर सकता हो।
      गीता का सारांश देखना हो तो इस वाक्य में देखा जा सकता है -- तस्मात् योगी भवार्जुन। यह एक आदेश है।
लेकिन केवल आदेश देकर कृष्ण चुप नही बैठते। बारीकियाँ समझाकर  बताते हैं कि योगी के लक्षण क्या हैं, योगको कैसे आत्मसात्  करना है।
      छठवां अध्याय जो कि आत्मसंयमयोग कहा गया है, यह एक लम्बी यात्रा  को आनन्ददायी बनाने वाली कविता है ।
   जो कर्मके फल पर आश्रित  नही है, वही योगी है। वही संन्यासी है।
   गीता में बार बार कहा है- कौन संन्यासी है?  वह  नही जो सब कुछ  छोड -छाड कर कहीं दूर गिरीकंदराओंमें  भटकने  के लिये निकल पडा। बल्कि वह जो दुगुने उत्साह से काम में लग गया। लेकिन  उत्साह भी कैसा? जिसमे काम ही सर्वोपरि है- फल की आकांक्षा नही।
     पहले एक बार अर्जुन को  ये  तो कह  दिया कि  कर्मपर ही तेरा अधिकार  है , फलपर  नही- यह भी  डाँट डपट कर कह  दिया कि खबरदार फलेच्छा न रखना । लेकिन अब छठवें अध्यायमें  इसका यश भी बता रहे  हैं । जो कर्मफल से परे हो गया, वह योगी हो गया - मुदीत  हो गया , आनंदित हो गया।
       मैंने अक्सर देखा है और अपने घर परिवार में बच्चों को भी  समझाया ।  आजकल सबका ध्येय यही  हो गया है कि परीक्षा में नंबर लाना, विषय चाहे  समझ में आये या न आये।  मैं बच्चों से कहती - तुम्हें  परीक्षा में नंबर  आयें या न आये, मैं पहले पूछूँगी - विषय का ज्ञान आया या नही? मेरी परीक्षा में पास होकर दिखाओ तो मानूँ।  कोई विषय उठाओ और देखो कि यह कितनी  गहराई तक  तुम्हें  समझ आया।
      एक प्रसंग  है तैराकी का । ढेर सारे लोग  तैरने में expert  होते हैं ।  पानी में डुबकी लगाते हैं। पानी के अंदर जाते ही थोडासा हल्कापन महसूस करते हैं । जितना तय किया था, उतना तैरकर  बाहर आ जाते  हैं । या जिन देशों मे, जिन घरोंमें टबमें  पानीभर उसीमें नहानें का रिवाज  हैं, वे रोज यही करते हैं । लेकिन  आर्किमिडिस  एक वैज्ञानिक  था- नहाने के लिये टबमें  घुसा तो इधर  थोडा पानी छलक कर गिरा, और उधर देह में कुछ हल्कापन महसूस हुआ और  उसका दिमाग  जो सजग था -उसने  खट्ट से पकड  लिया - यह जो पानी बाहर गिरा, इसका और मेरे हल्केपनका कोई संबंध  है।  वह टब  से निकल कर नंगा ही सडकों पर दौड गया - युरेका, युरेका - अर्थात मैंने पा लिया , - क्या पा लिया ? रहस्य पा लिया। कैसा रहस्य ? पानीके छलकने और हल्कापन महसूस होनेके संबंधका रहस्य।
      तो यह  जो दिमाग की सजगता हैं , हर क्षण के कार्यकलाप  को पकडना , समझना , छोडना और  अगले क्षण के  लिये तत्पर  हो जाना । यह कहाँ से आती हैं ? यह तब आती हैं - यदि हम कर्ममें  पूटी तरह  जुटे हों , फिर भी कर्मफल  पर आश्रित नही हों।
       यहाँ बडी विचारणीय बात हैं , क्या हमें goal  focussed नहीं होना है  ? यदि कर्मफल  के प्रति मोह नही रखना है तो उस  लक्ष्यपर / goal  पर हमारी आँख नही रहेंगी फिर  तो कर्म  करने की प्रेरणा ही नही रहेगी ।
   तो गीता की सीख यह नही है । goal पर focus  रखना हैं - उसी के लिये कर्म करने हैं और  कुशलता के साथ करनें हैं। तो छोडना किसे है- ?  छोडना है उस सुख-दुख को जो जय-पराजय से, स्तुती-निंदा से, यश-अपयश से आते हैं । मैं अपने आनंद  के लिये उस  जय  या यश पर आश्रित नही रहूँ, बल्कि मेरा आनंद इस बात से आये कि मैं काम  कर रही हूँ । और अच्छी तरह से कर रही हूँ। लक्ष्य पर  निगाह रख कर रही हूँ। कुशलता पूर्वक, सतर्कता  पूर्वक, तन्मयता पूर्वक । ताकि उस कार्य को करते करते मेरी इन्द्रियाँ एक लय में  निबद्ध हो जायें ।
     एक प्रसंग मुझे याद आता है कि में अपने बेटे को कार चलाना सिखा रही थी। उसे अच्छी खासी प्रॅक्टिस हो गई। स्पीड बढाना, घटाना, ब्रेक लगाना, ओव्हरटेक, रिवर्स । RTO  में जाकर टेस्ट देनेका समय आया तो मैंने समझाया -  देखो, मेरी टेस्ट में पास  होना पडेगा। क्या है वह टेस्ट ? कि जब गाडी चलाओ , तब दिमाग से नही बल्कि शरीर के अवयवों से गाडी चलनी चाहिये । जब आँख के कोने से दिख जाये कि कोई रास्ते में आनेवाला है तो यह संवेदना या ज्ञान पहले दिमाग में पहुँचता है या पहले पैर ब्रेक दबाने के लिये तैयार हो जाते हैं? यदि पैर पहले तैयार हैं तो टेस्ट में पास। यदि कान्शस दिमाग के आदेश पर पैरों को ब्रेक लगाना पडे तो इसका अर्थ है कि अभी और प्रॅक्टिस आवश्यक है।

यह एकाग्रता लाने के लिये क्या कोई अनुक्रमसे सीखा जानेवाला तरीका है ? है, और यही तरीका गीताके आत्मसंयमयोग नामक छठे अध्यायमें वर्णित है।

अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम् ।
आचार्योSपासनं शौचं स्थैर्यमात्मनविनिग्रहः।। ७
मनकी अहिंसा भावना इन्द्रियों के माध्यम से प्रगट होती है । अनः जिसके मनमें अहिंसा है उसका बोलना मधुर, हस्तस्पर्श सुखकर, दृष्टि कृपावंत हो जाती है।
      भगवद्गीता में संकल्पनाओं की प्रस्तुति है, उनमेंसे एक सुंदर संकल्पना है दसवाँ अध्याय अर्थात् विभूतियोग।  केषु केषुच भावेषु चिन्त्योSसि? अर्जुन पूछता है, हे कृष्ण, मैं तुन्हें किस किस रूप में देखूँ ? अपने  उस सुंदर आनंददायी स्वरूप के विषय में तुम स्वयं बताओ । और भगवान भी जो इतनी देर से मैं निर्गुण हूँ, निराकार हूँ, परब्रह्म हूँ इत्यादि कहे जा रहे थे, वो सारे सिद्धान्त अलग रखकर उन्होंने अपनी पहचान के संकेत बता दिये।
     यह कहना कि सामान्य व्यक्ति भगवान नही बन सकता- इस सिद्धान्त को ही भगवान ने धता बता दिया । हर व्यक्ति भगवान के समकक्ष बन सकता है, अपने अस्तित्व के माध्यम से इतर जनोंको भगवानके होने की प्रचीति करा सकता है। सामान्य मनुष्य के मन को दिव्यता का शिखर दिखाकर उसे रास्ता बता दिया- एक चॅलेंज के साथ या एक शाबासी के साथ- कि देख लो, वह जो शिखर है, वह गुण मेरा परिचायक है उसे प्राप्त करो और मेरे समकक्ष हो जाओ।
     हर मनुष्य के मन में एक ललक होती है, कुछ कर गुजरने की। ऐसे कर्तृत्ववान मनुजोंके लिये विभूतियोग है- यह हमें गुणों की परख भी सिखाता है और उन गुणों का निर्वाह करने के लिये भी प्रेरणा देता है।
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